Monday, June 15, 2020

वक़्त कहाँ हैं

वक़्त कहाँ हैं किसी के पास दो पल ठहरने का
गौर से देखना अपने दोस्त को, उसके चेहरे को पढ़ने का
वो जो हसी लिये बैठा हैं मेरा दोस्त अपने चेहरे पे
अंदर की है खुशी या ज़रिया हैं गम छुपाने का
वक़्त कहाँ हैं किसी के पास दो पल ठहरने का

मैने पूछा उससे ऐ दोस्त कैसे हो तुम
उसने हस के कह दिया के बस खुश हूँ मैं, हुँ अपने काम में गुम
मैने उसकी बातों पे विश्वास करके अपने खुद के गम को दबा लिया
यही सोचा के क्या फायदा उसको अपने दुख का भागीदार बनाने का
वक़्त कहाँ हैं किसी के पास दो पल ठहरने का

- निकिता 

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